बदनसीब

सफ़र मीलों तलक अब घर करीब था !
मरा पटरी पे, कैसा वो बदनसीब था !!

सूखी रोटी अचार, पैरो के ये छाले !
ख़बर देखो तो लगता है गरीब था !!

🙏🙏 अमितोष मिश्रा 🙏🙏

तू बड़ा कौन सा

घोषणापत्रों मे जिनका इरादा प्रगतिशील होता है !
आते-आते चुनाव, उनका नारा अश्लील होता है !!

यूँ तो कहने को कई मुद्दे हैँ, देश-प्रदेश मे !!
हौले से मामला फिर पाक पे तब्दील होता है !!

हो गर बात वाज़िब तो डपट देंगे झट से !
कहेंगे तू बड़ा कौन सा वकील होता है !!

विजेता होकर भी शत्रु को जो दे सम्मान !
कलयुग मे भला राम सा कोई सुशील होता है !!

दो घड़ी सुकून से हरी लान पर नहीं बैठता !
गरीब बच्चा साहेब, अक्सर ज़लील होता है !!

🙏 अमितोष मिश्रा 🙏

पाक = पाकिस्तान
तब्दील = परिवर्तित(change)

गांधी और संविधान

ज़हन मे जिसके गांधी और संविधान नही !
हुज़ूर सच्चा वो बाशिंदा-ए-हिंदुस्तान नही !!

मशरूफ मेरा देश हिन्दू-मुस्लिम करने मे !
बिन इलाज मर गया कोई, उसे ध्यान नही !!

उफ़ ये कैसी नुमाइश-ए-फरमाबरदारी है !
बेहाल किसान, गरीब के जिस्म मे जान नही !!

वतन खतरे मेँ और वजह तुम जमातियों !
बेगैरत तुम, मुसल्लम तुम्हारा ईमान नही !!

दिलों मे हो जो मुहब्बत तो मुल्क सलामत !
सीधी सच्ची बात है ये, कोई विज्ञान नही !!

ऐ नफ़रत

ऐ नफ़रत तेरा इंतकाल हो जाये !

अम्न फिर मुल्क में बहाल हो जाये !!

मसाइल-ए-वतन पूछ कर तो देख !

वतन परस्ती पे तेरी सवाल हो जाये !!

जो छेड़ू मजलूमों के हक़ की बात !

बहुत मुमकिन है कोई बवाल हो जाये !!

कुछ इस फिकर मे नया आज क्या हो !

वो सोचे इंतजाम ऐ रोटी-दाल हो जाये !!

सरहद और सियासते हो जाये छू !

काश ऐसा भी कभी कमाल हो जाये !!

चंद दोहे मुल्क के ताज़ा हालात पर




  1. ज़ख्मी तो दोनों हुए, क्या हिंदू क्या मुसलमान |
     दीन-धरम नही जानते, ये बम-फोड़ू शैतान || 




  2.   चला मोर्चा दिल्ली को, लिए हाथ में तख्ती |
     अब भीड़ बताया करती है,किसकी कितनी हस्ती ||




  3.  हिंदू मुस्लिम की पहचान, खूब कराता है दंगा |
     खुदा भी डर जाता है, जब इन्सां हो जाए नंगा ||




  4.  प्रमोशन की लिस्ट में,  देखो बन्दर बाँट |
     मंत्री के रिश्ते में आ, या फिर तलवे चाट ||




  5.  मंत्री से संतरी तक, सबके सब हैं  भष्ट |
     गाड़ी कमाई जनता की, नित कर रहे नष्ट || 




  6.  देख दुर्दशा देश की, स्वर्ग में गांधी रोय |
     खादी वाले गुंडों से, कैसे छुटकारा होय ||




  7.  गठबंधन सरकार के, नियम न मोहे सुहाय |
     छोटी मछली तालाब की, बड़ी मछली को खाय ||