बदनसीब

सफ़र मीलों तलक अब घर करीब था !
मरा पटरी पे, कैसा वो बदनसीब था !!

सूखी रोटी अचार, पैरो के ये छाले !
ख़बर देखो तो लगता है गरीब था !!

🙏🙏 अमितोष मिश्रा 🙏🙏

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